प्रेमियों को तो प्रेम धुन लगी है और समाज को नियमों की पड़ी है प्रेमियों को तो प्रेम धुन लगी है और समाज को नियमों की पड़ी है
पाखंडी और मुर्ख है वो समाज जो एक नारी के चीर हरण पर चुप रहा चुप रहा हर बार किसी सीता पाखंडी और मुर्ख है वो समाज जो एक नारी के चीर हरण पर चुप रहा चुप रहा हर बार...
कवि नहीं हूँ फिर भी लिख रहा हूँ कविता नहीं अपनी पीड़ा को रच रहा हूँ कवि नहीं हूँ फिर भी लिख रहा हूँ कविता नहीं अपनी पीड़ा को रच रहा हूँ
निभाएँ समझाएँ करें वफादारी मार्गदर्शक बन करें सुरक्षा सारी। निभाएँ समझाएँ करें वफादारी मार्गदर्शक बन करें सुरक्षा सारी।
और कोलाहल ? और कोलाहल ?
और फिर... और फिर...